संघर्ष एक बेटी कि

जन्म की संघर्ष 
संघर्ष  एक बेटी  का  जन्म लेते ही शुरू हो जाती  है।
अगर बेटी एक लक्ष्मी होती है तो क्यु पैदा  होते ही लक्ष्मी को छोड़ने की बात करते  है?
माँ को डराते धमकाते हैं बेटी नहीं बेटा चहिए, अखिर बेटी से क्या दुश्मनी?
जिंदगी की संघर्ष
संघर्ष का  अगला क़दम जन्म के बाद ही चालू हो जाता है।
अगर बेटी एक शक्ति है, तो क्यु घर के चौखट के पार न जाने दिया जाता है?
उसे भी तो जीने का मान कर्ता है, उसे भी तो दुनिया देखने का मान कर्ता है।
खाने-पीने, रहने,पढ़ने,बरताव मे अखिर क्यु अन्तर हो जाते है जब दोनों एक ही पेट से जन्म लेते है तो?
लोगों का भ्रम क्यु है बेटा ही परिवार का नाम रौशन कर्ता है, ये तो तर्क ही गलत है। बेटी तो शक्ति है उसे किसी का सुरक्षा की जरूरत नहीं है।
शादी की संघर्ष
अखिर क्यु एक बेटी ही पूजा पाठ करें,व्रत करें एक पति के लिए  क्यु नहीं एक बेटा करें पत्नी के लिए।
अखिर क्यु नहीं माता पिता को समझ आता अगर बेटी को पढ़ा देते तो लज्जित और वर्चस्व लड़के वाले से सहना नहीं करना पड़ता,मगर समाज को समझाये  कोन?
शादी के बाद की संघर्ष
बेटी सोचती है कुछ तो लाइफ मे अब सही होगा, मगर अब तो लाइफ की संघर्ष की कहानी चालू ही होती है, बेटी अब बेटी नहीं एक पत्नी, माँ, बहु और ना जाने कितने रिश्ते निभाने परते है। समझ लीजिए यहां तो संघर्ष का सिर्फ झलक बयान कर पाया हूँ|

"जिंदगी मे सारे रिश्ते को चलाने मे खुद का अस्तित्व चला  देती है।"  

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